अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थान और सामाजिक न्‍याय

अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थान और सामाजिक न्‍याय - गंगा सहाय मीणा

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जनसत्‍ता, 11 अप्रैल, 2011

1 Response to “अल्‍पसंख्‍यक संस्‍थान और सामाजिक न्‍याय”

Bharat Bhushan ने कहा…

आपका आलेख पढ़ा. हम सब के सरोकारों को आपने बखूबी व्यक्त कर दिया है. राजनीतिक जागरूकता समान्यजन तक अभी पहुँच रही है. पब्लिक जब इन मुद्दों को मुद्दों की तरह ले लेगी तब परिवर्तन शुरू हो जाएगा. हम आशावान हैं.

 
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